आयुर्वेदिक उपचार में चित्तोद्वेग या चिंता को नियंत्रित करने के लिए ब्राह्मी, मंडूकपर्णी और अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है। मस्तिष्क के लिए शक्तिवर्द्धक या मेध्य रसायनों के साथ शमन चिकित्सा द्वारा चिंता को नियंत्रित किया जाता है।आहार में घी (क्लैरिफाइड मक्खन), अंगूर, पेठा और फलों को शामिल करें। इसके अलावा जीवनशैली में नियमित ध्यान और प्राणायाम को भी शामिल करने से दिमाग को शांत रखने में मदद मिलती है।
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से चिंता Ayurveda ke anusar Anxiety
चित्तोद्वेग सबसे सामान्य मानसिक विकार है जो कि भावनात्मक आघात के कारण होता है। बासी भोजन या अनुचित खाद्य पदार्थ (जैसे मछली के साथ दूध), मानसिक कारकों जैसे कि दुखी रहना, डर या परेशान रहने की वजह से चिंता हो सकती है। चिंता से ग्रस्त व्यक्ति को बेचैनी, दिमाग से जुड़े कामों में परेशानी, बोलने में दिक्कत और मानसिक रूप से असंतुलित महसूस होता है।चिंता का संबंध अस्य-वैरस्य (मुंह का खराब स्वाद), धमनी प्रतिचय (एथेरोस्क्लेरोसिस-धमनियों में रुकावट), अतिसार (दस्त), त्वक विकार (त्वचा रोग) और अनिद्रा (इनसोमनिया) से है।
ध्यान और धरण (एकाग्रता) से मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर्स जैसे कि नोरेफिनेफ्राइन और सेरोटोनिन को सामान्य कर चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ये मस्तिष्क के खराब हुए दोष के साथ-साथ बुद्धिभ्रंश (दिमाग की शक्ति में कमी आना) का भी इलाज करते हैं। रसायन (ऊर्जादायक) चिंता का कारण बने शरीर के मानसिक और शारीरिकों कारकों को संतुलित और चिंता घटाने में मदद करते हैं। आचार रसायन यानि आचार संहिता के द्वारा व्यक्ति को समाज में सही तरह से व्यवहार करना सिखाया जाता है और उसके रक्षा तंत्र में सुधार लाया जाता है जिससे वो खुद का बचाव करने वाली स्थितियों को समझ पाता है। इस प्रकार चिंता को रोका जाता है।सत्वावजय चिकित्सा (तनाव को नियंत्रित करने वाली) में धैर्य और ज्ञान (निजी जागरूकता), अनुभव साझा करने और समाधि (चिंता के कारण से ध्यान हटाना और आत्म संयम विकसित करना) से चिंता को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।
1. निदान परिवार्जन
1.
किसी भी बीमारी के उपचार के लिए आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों में से एक निदान परिवार्जन है जिसमें रोग के मूल कारण को खत्म किया जाता है।
2. हिंसा या नकारात्मक वातावरण से दूर रहकर और हृदय तथा फेफड़ों से संबंधित विकारों या एंडोक्राइन ग्रंथि को किसी भी तरह के नुकसान से बचाकर चिंता को दूर करने में मदद मिल सकती है। स्टेरॉइड्स और नींद लाने वाली दवाओं को लेने से भी बचना चाहिए।
2.
रसायन
0. रसायन उपचार में व्यक्ति की आयु बढ़ाने पर काम किया जाता है। ये प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देकर शरीर को कई रोगों से बचाने का भी काम करता है।
1. चिंता के इलाज में मेध्य रसायन खासतौर पर मददगार है। चिंता के उपचार में मेध्य रसायन में ब्राह्मी रसायन (घी, ब्राह्मी, गोटू कोला और अन्य जड़ी बूटियों से बना), अश्वगंधा रसायन, यष्टिमधु (मुलेठी) रसायन, मंडूकपर्णी रसायन का इस्तेमाल किया जाता है।
2. मेध्य रसायन चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटियों में चिंतारोधी और रोग को खत्म करने वाले गुण होते हैं। ये हर उम्र के व्यक्ति में मानसिक रोग को रोकने एवं उसे नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
3. मेध्य रसायन से चीज़ों को याद रखने की क्षमता, धृति (स्मृति) और धि (कुछ हासिल करने का अहसास) में सुधार आता है। मस्तिष्क को शक्ति देने वाली जड़ी बूटियों से रंगत को निखारने, आवाज़ बेहतर होने, मस्तिष्क के कार्य एवं पाचन अग्नि में सुधार और शरीर को मजबूती मिलती है।
4. आचार रसायन न केवल चिंता का इलाज करता है बल्कि उसे रोकता भी है। इस चिकित्सा से व्यक्ति में दूसरो के प्रति आदर की भावना, ज्यादा मेहनत से बचना, दयालु बनना, ईश्वर की आराधना करना, पर्याप्त नींद, पौष्टिक आहार, स्वभाव से सौम्य रहकर, ध्यान एवं सच बोलने के लिए प्रेरित किया जाता है।
3.
शमन चिकित्सा
चिंता के इलाज के लिए शमन चिकित्सा में निम्न उपचारों का इस्तेमाल किया जाता है।
0. औषधीय तेलों या तरल पदार्थों से अभ्यंग (शरीर की मालिश) और शिरोअभ्यंग (सिर की मालिश) की जाती है।
1. एक सप्ताह तक ब्राह्मी स्वरस (रस) से नास्य कर्म (नाक से औषधि डालना) किया जाता है।
2. स्नेहपान (तेल या घी पीना) के लिए प्रमुख तौर पर महाकल्याणक घृत (घी) का इस्तेमाल किया जाता है।
3. एक सप्ताह तक चंदनादि तेल से शिरोबस्ती (सिर के लिए तेल चिकित्सा) किया जा सकता है।
4. चंदनादि तेल या औषधीय दूध, पानी, छाछ या तेल से एक सप्ताह तक शिरोधारा (सिर पर तेल या तरल पदार्थ डालने की विधि) की जाती है। चिंता के इलाज में ब्राह्मी की पत्तियों से तक्र धारा (छाछ डालने की विधि) और शिरोलेप (सिर पर औषधियां लगाना) किया जाता है।
चिंता की आयुर्वेदिक दवा, जड़ी बूटी और औषधि -
1.
मंडूकपर्णी
1.
आयुर्वेदिक ग्रंथों में शरीर की ताकत और जोश को बढ़ाने वाली जड़ी बूटियों में मंडूकपर्णी का उल्लेख किया गया है। ये मेध (बुद्धि), स्मृति (याददाश्त) और व्यक्ति के जीवनकाल में सुधार लाती है, इस प्रकार मंडूकपर्णी से चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
2. ये नसों को शक्ति देती है और इसमें मूत्रवर्द्धक गुण पाए जाते हैं जिससे शरीर से अतिरिक्त नमक और पानी बाहर निकल जाता है। इसके अलावा मंडूकपर्णी में ह्रदय को शक्ति देने वाले और संकुचक (ऊतकों को संकुचित करने वाले) गुण मौजूद होते हैं।
3. मंडूकपर्णी पित्त से संबंधित मूत्रघात (पेशाब करने में दिक्कत) को ठीक करती है और इसमें ठंडक देने वाले एवं संकुचक गुण मौजूद होते हैं।
4.
बढ़ती उम्र में होने वाले रोगों के उपचार के लिए मंडूकपर्णी को जाना जाता है। ये रोग प्रतिरोधक शक्ति और हड्डियों में कोलाजन के उत्पादन को बढ़ाती है। इस प्रकार ये बढ़ती उम्र से संबंधित विकारों जैसे कि चिंता, कमर
दर्द, घुटनों
में दर्द, इनसोमनिया और कमजोरी के इलाज एवं उसे नियंत्रित करने में उपयोगी है।
2.
ब्राह्मी
0. आयुर्वेद में मस्तिष्क के लिए शक्तिवर्द्धक के रूप में ब्राह्मी को जाना जाता है। ये एकाग्रता, बुद्धिमानी और याददाश्त को बढ़ाती है। ये व्यक्ति को ध्यान लगाने, दिमाग को शांत रखने और नसों एवं मस्तिष्क में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) कार्य को ऊर्जा देने का काम करती है। इस प्रकार ये चिंता को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद करती है।
1. ये रोग प्रतिरोधक शक्ति में सुधार लाती है और खून एवं रक्त कोशिकाओं को साफ करती है। ब्राह्मी दिमाग के ऊतकों को साफ करने की बेहतरीन जड़ी बूटी है। इसमें एलर्जीरोधी, तनावरोधी और ज्ञान संबंधित कार्य में सुधार लाने वाले गुण मौजूद होते हैं।
2. डिप्रेशन और चिंता के इलाज में ब्राह्मी का इस्तेमाल किया जाता है एवं कई वर्षों से मानसिक थकान से राहत पाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। अन्य स्वास्थ्य विकारों जैसे कि दांतों की संरचना के आसपास होने वाला संक्रमण, लिवर
सिरोसिस, घाव, ऐंठन, सुन्न पड़ने, अल्सर और सूजन के इलाज में भी ब्राहृमी उपयोगी है।
3.
यष्टिमधु (मुलेठी)
0. इसे दिमाग को शांति देने वाले गुणों के लिए जाना जाता है और इसी वजह से ये चिंता के इलाज में उपयोगी है। ये कई स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि सामान्य दुर्बलता, मांसपेशियों में ऐंठन, ब्रोंकाइटिस, गले
में खराश, अल्सर और लैरिंजाइटिस (गले
में दर्द) के इलाज में मदद करती है।
1. यष्टिमधु बल (मजबूती) देती है एवं इसमें एंटीऑक्सीडेंट, नाडिबल्य (नसों के लिए शक्तिवर्द्धक) और बुखार कम करने वाले गुण मौजूद हैं। मुलेठी दौरे पड़ने से रोकती है और घाव को जल्दी भरने में मदद करती है। इसे हद्रय के लिए शक्तिवर्द्धक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। (और पढ़ें – बच्चों में दौरे आने के लक्षण)
2. इस जड़ी बूटी में कफ-निस्सारक (बलगम दूर करने वाले) उल्टी लाने वाले, ऊर्जादायक और श्लेष्मा झिल्ली को सुरक्षा देने वाले गुण मौजूद हैं। इसे आप पाउडर, काढ़े या दूध के काढ़े के रूप में ले सकते हैं।
4.
अश्वगंधा
0. अश्वगंधा को मस्तिष्क के लिए शक्तिवर्द्धक के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा ये रोग प्रतिरोधक शक्ति के स्तर में सुधार और नसों की थकान को दूर करने का काम करती है। इसमें तनावरोधी और दिमाग को शांति देने वाले गुण मौजूद होते हैं जो कि इसे चिंता के इलाज में उपयोगी बनाते हैं।
1. अश्वगंधा के पाउडर को घी या तेल के साथ मिलाकर, इसकी हर्बल वाइन या काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
5. जटामांसी
0. जटामांसी को उत्तेजक, नसों के लिए शक्तिवर्द्धक और पाचन को उत्तेजित करने के लिए जानी जाती है। ये त्वचा की रंगत को निखारने और पीलिया, पाचन से संबंधित रोगों, किडनी स्टोन, घबराहट एवं पेट फूलने की समस्या के इलाज में मदद करती है।
1. जटामांसी मिर्गी के इलाज में भी इस्तेमाल की जाती है। इसमें ठंडक देने वाले गुण होते हैं और ये किसी भी चीज़ के बारे में जानने यानि ज्ञान अर्जित करने की क्षमता में सुधार लाती है। इसी वजह से जटामांसी चिंता के इलाज में उपयोगी है।
2. जटामांसी को मेध्य औषधि के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये स्मृति, धि और बुद्धि में सुधार लाती है। इसमें चिंता को कम करने वाले गुण भी होते हैं।
3. ये पाउडर और अर्क के रूप में उपलब्ध है।
चिंता के लिए आयुर्वेदिक औषधियां
1. मम्स्यादि क्वाथ
1. इसमें जटामांसी, पारसीक यवानी और अश्वगंधा मौजूद है। इसे मानसिक रोगों के लिए काफी उपयोगी औषधि माना जाता है।
2. इस मिश्रण का लंबे समय तक इस्
तेमाल करने पर चिंता दूर होती है और डिप्रेशन के इलाज में ये उपयोगी है।
2.
रसायन घन वटी (गोली)
0. रसायन घन वटी में आमलकी, गुडूची और गोक्षुर मौजूद है।
1. रसायन घन वटी में ऊर्जादायक गुण होते हैं एवं यह बढ़ती उम्र के प्रभाव (एंटी-एजिंग) को भी कम करती है। इससे आयु बढ़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आता है। चिंतारोधी गुण के कारण ये मिश्रण चिंता और डिप्रेशन के इलाज में उपयोगी है। (और पढ़ें – एजिंग के लक्षण कम करने के आयुर्वेदिक टिप्स)
2. इस गोली को आप शहद, घी या डॉक्टर के निर्देशानुसार ले सकते हैं।व्यक्ति की प्रकृति और कई कारणों के आधार पर चिकित्सा पद्धति निर्धारित की जाती है इसलिए उचित औषधि और रोग के निदान हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।आयुर्वेद के अनुसार चिंता होने पर क्या करें और क्या न करें -
क्या करें
सदवृत्त (मानसिक स्वास्थ्य) और निजी साफ-सफाई का ध्यान रखें। (और पढ़ें – निजी अंगों की सफाई कैसे करें)
2. ध्यान, प्राणायाम, गहन विश्राम विधियां , हल्के शारीरिक व्यायाम और योगासन जैसे कि शवासन एवं प्राणायाम का अभ्यास करें। इससे आत्म-संयम विकसित करने में मदद मिलती है।
3.
तनावपूर्ण स्थिति से बचें।
4. संगीत सुनें और किताबें पढ़ें।
5.
धार्मिक स्थलों के दर्शन करें।
6. तनाव से बचने के लिए पर्याप्त नींद लें।
7. साबुत खाद्य पदार्थ जैसे कि गेहूं, घी, अंगूर, पुराने चावल, नारियल, परवल, पेठा और किशमिश एवं अन्य फलों को अपने आहार में शामिल करें।
अनुचित खाद्य पदार्थों जैसे कि दूध के साथ मछली न खाएं।
2.
सॉफ्ट ड्रिंक्स, चाय, कॉफी या ज्यादा गर्म या मसालेदार खाद्य पदार्थ न खाएं।
3. रात के समय जागे नहीं।
4. धूम्रपान या शराब का सेवन न करें।
5.
भारी खाद्य पदार्थ न खाएं।
6.
प्राकृतिक इच्छाओं जैसे कि भूख, प्यास, पेशाब, मल त्याग की क्रिया और भावनाओं को दबाए नहीं।
7. बासी या फीका खाना न खाएं।
8. वाइन न पीएं।
चिंता के लिए आयुर्वेदिक दवा कितनी लाभदायक है -
प्रारंभिक अध्ययन में सूखी ब्राह्मी को चिंता घटाने में असरकारी पाया गया है। अध्ययन के अनुसार सूखी ब्राह्मी में चिंता को रोकने वाले गुण होते हैं। अन्य अध्ययन में स्वस्थ वयस्कों पर ब्राह्मी अर्क का इस्तेमाल किया गया था। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों ने बताया कि ब्राह्मी के उपयोग से उन्होंने चिंता के स्तर में कमी महसूस की।एक चिकित्सकीय अध्ययन में चिंता से ग्रस्त 108 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इन्हें कुछ समय के लिए रसायन घन वटी दी गई। अध्ययन के पूरा होने तक सभी प्रतिभागियों ने भावनात्मक और मानसिक स्थिति में सुधार की बात कही और इनके संपूर्ण स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार देखा गया।मंडूकपर्णी चूर्ण, चित्तोद्वेग से ग्रस्त 33 प्रतिभागियों को दिया गया। उपचार के 30 दिनों के बाद सभी मरीज़ों में चिंता के संकेत और लक्षणों में सुधार देखा गया और इनमें अनिद्रा (इनसोमनिया) और डर में भी कमी आई।
मानसिक विकारों में मेध्य रसायन के प्रभाव की जांच के लिए एक अध्ययन किया गया था जिसमें ये साबित हुआ कि कई तरह के मानसिक विकारों जैसे कि अनिद्रा, चिंता, बेचैनी और परेशानी के इलाज में मेध्य रसायन सुरक्षित और असरकारी है।
चिंता न्यूरोसिस (कम मानसिक बीमारी) से ग्रस्त 40 प्रतिभागियों को जटामांसी दी गई। जटामांसी के प्रयोग से इन प्रतिभागियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आया, शरीर में कैटेक्लोमाइन्स (एड्रेनल ग्रंथि द्वारा बनाने वाले हार्मोन) में कमी आई और इसके चिंतारोधी और तनावरोधी प्रभाव देखे गए। इस जड़ी बूटी से शरीर को तनाव के अनुकूल होने में भी मदद मिली।
सामान्य चिंता विकार से ग्रस्त लोगों पर भी एक अन्य अध्ययन किया गया था जिसमें ये साबित हुआ कि मम्स्यादि क्वाथ लेने के साथ-साथ योग की मदद से चिंता के लक्षणों से राहत मिल सकती है। इससे चिंता के स्तर में भी कमी देखी गई।
चिंता की आयुर्वेदिक औषधि के नुकसान -
हाई ब्लड प्रेशर या ऑस्टियोपोरोसिस के मरीज़ को यष्टिमधु नहीं देनी चाहिए। यष्टिमधु को उबले दूध के साथ या इसे डि-ग्लिसराइड (ग्लिसराइड नामक यौगिक को निकालकर बना) रूप में दे सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को भी यष्टिमधु के सेवन से बचना चाहिए।
नाक या छाती में बलगम जमने पर अश्वगंधा नहीं लेनी चाहिए। कैंसर या किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को अश्वगंधा की एक या इससे ज्यादा औंस की मात्रा का इस्तेमाल करना चाहिए।
चिंता की आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से जुड़े अन्य सुझाव -
चिंता एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति को लगातार परेशानी महसूस होती है जो कि व्यवहारिक और भावनात्मक बदलावों का रूप ले सकती है। आयुर्वेद के अनुसार तनाव के स्तर को कम करके और दीर्घायु को बढ़ावा देकर चिंता का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद में जड़ी बूटियों और औषधियों से मस्तिष्क के कार्य में सुधार, चिंता को कम और मस्तिष्क के ज्ञान से संबंधित कार्यों को बेहतर किया जाता है।जीवनशैली में बदलाव जैसे कि ध्यान, आराम करने, व्यवहार में बदलाव और आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल कर चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। तनाव से दूर रह कर मानसिक रूप से शांत रहा जा सकता है। जीवन को बेहतर बनाने और चिंता से बचने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन से प्यार करना सीखना चाहिए।
तनाव के प्रकार बेहतर तनाव प्रबंधन कौशल विकसित करने के लिए, आपको पहले विभिन्न प्रकार के तनावों को समझना होगा।
- तीव्र तनाव - यह तनाव का सबसे सामान्य रूप है। कम मात्रा में, यह रोमांचक लग सकता है, लेकिन बड़ी मात्रा में तीव्र तनाव थकाऊ हो सकता है। उदाहरण के लिए, एक दुर्घटना के साथ एक चूक समय सीमा तीव्र तनाव का कारण बन सकती है।
- एपिसोडिक एक्यूट स्ट्रेस - जब तीव्र तनाव लगातार और अधिक सुसंगत हो जाता है, तो यह एपिसोडिक तीव्र तनाव बन जाता है। एपिसोडिक तीव्र तनाव वाले लोग लगभग हमेशा हड़बड़ी में, चिड़चिड़े, चिड़चिड़े, चिंतित और अव्यवस्थित होते हैं। वे आम तौर पर परिवार, सहकर्मियों आदि के साथ पारस्परिक संबंधों में असफल रहे हैं।
- क्रोनिक स्ट्रेस - क्रोनिक स्ट्रेस इस अर्थ में तीव्र तनाव के विपरीत है कि यह कम से कम रोमांचक नहीं है। यह तनाव के सबसे विनाशकारी रूपों में से एक है जो मन और शरीर पर बहुत अधिक दबाव डालता है, जिससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है। यह आमतौर पर लोगों को लंबे समय तक प्रभावित करता है। कुछ ट्रिगर गरीबी, बचपन का आघात, असफल विवाह आदि हैं।
अब जब आप समझ
गए हैं कि तनाव
क्या है और तनाव
के प्रकार क्या हैं, तो
आपको यह जानने की
उत्सुकता होनी चाहिए कि
तनाव का कारण क्या
है।
- बाहरी
- व्यक्तिगत समस्याएं जैसे पुरानी बीमारी
- असफल रिश्ते या तलाक
- वित्तीय दायित्व जैसे ऋण
- जीवन में बदलाव जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, घर बदलना आदि।
- सामाजिक समस्याएं जैसे काम पर लंबे समय तक काम करना, काम का दबाव, भेदभाव या उत्पीड़न आदि।
- दर्दनाक घटनाएँ जैसे हिंसा, बलात्कार, दुर्घटना, युद्ध आदि।
- अंदर का
- भय और अनिश्चितता
- निराशावादी विचार
- कठोर दृष्टिकोण और धारणाएं
- अवास्तविक उम्मीदें
- सब कुछ या कुछ भी नहीं मानसिकता
तनाव
हमारे जीवन के विभिन्न
हिस्सों को प्रभावित करता
है। हमारे जीवन में तनाव
के हानिकारक प्रभाव हैं:
- भावनात्मक
- उत्तेजित या चिड़चिड़ा महसूस करना
- नियंत्रण का अभाव
- कम आत्म-मूल्य
- परिहार
- शारीरिक
- शक्ति की कमी
- सरदर्द
- पेट खराब
- अनिद्रा
- सीने में दर्द
- रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी
- यौन इच्छा की कमी
- संज्ञानात्मक
- चिंता
- रेसिंग के विचारों
- ध्यान की कमी
- खराब निर्णय लेने की क्षमता
- निराशावादी विचार
- विस्मृति
- व्यवहार
- भूख में बदलाव
- टालमटोल
- नशीली दवाओं या मादक द्रव्यों का सेवन
- तंत्रिका
व्यवहार
लंबे
समय तक तनाव कई
समस्याओं का कारण बनता
है जैसे:
- मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे जैसे अवसाद या चिंता
- हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी समस्याएं problems
- पुरुषों में शीघ्रपतन और महिलाओं में मासिक धर्म की समस्या जैसी यौन समस्याएं
- त्वचा और बालों की समस्याएं जैसे मुंहासे या एक्जिमा
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल
समस्याएं जैसे गैस्ट्र्रिटिस या
नाराज़गी
- तनाव के प्रबंधन के लिए आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन
- केरल आयुर्वेद आयुर्वेदिक योगों की एक श्रृंखला प्रदान करता है जो तनाव और तनाव से संबंधित मुद्दों वाले लोगों की मदद कर सकता है।
ब्राह्मी
मोती:
ब्राह्मी
मोती में शुद्ध ब्राह्मी
घृत होता है जो
याददाश्त, मानसिक स्पष्टता, स्वस्थ नींद और तनाव
और थकान से कायाकल्प
में मदद करता है।
चंदनदी थिलम:
चंदनादि
थिलम एक बहुमुखी तेल
है जिसका उपयोग शरीर की गर्मी
को शांत करने में
मदद करने के लिए
किया जाता है, इसकी
शांत, सुखदायक और शीतलन संपत्ति
के कारण मानसिक विकारों
के उपचार में सहायता करता
है।
कई विश्राम तकनीकें हैं जिन्हें दैनिक जीवन में तनाव और चिंता को दूर करने के लिए अपनाया जा सकता है। वास्तव में, आयुर्वेद के माध्यम से तनाव प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाना वास्तव में फायदेमंद हो सकता है। यहां पांच तनाव प्रबंधन तकनीकें हैं जो तनाव से निपटने में मदद कर सकती हैं और आपको कुछ तनाव राहत प्रदान कर सकती हैं:
कभी-कभी तनाव और
चिंता से निपटने की
कुंजी हमारी तात्कालिक जीवन शैली में
होती है। जीवनशैली में
मामूली बदलाव करने से लक्षणों
को कम करने और
संतुलित जीवन जीने में
मदद मिल सकती है।
धीमा हो जाना - आज हम में से अधिकांश लोग भागदौड़ में रहते हैं जो तनाव की ओर ले जाता है। जीवन के धीमे, अधिक संतुलित तरीके पर स्विच करना इसका एक प्रभावी समाधान हो सकता है। चूंकि हम में से बहुत से लोग तेज-तर्रार जीवन के अभ्यस्त हैं, इसलिए धीमा होना डरावना या असंभव लग सकता है। आप अपनी जीवनशैली में एक-एक करके छोटे-छोटे कदम उठाकर या छोटी-छोटी चीजों में बदलाव करके इस भारी काम को आसान बना सकते हैं। समय के साथ, आप एक धीमी जीवन शैली को सफलतापूर्वक अपनाने में सक्षम होंगे। आप एक दिन में गतिविधियों की संख्या को धीरे-धीरे कम करके, कार्यों के बीच में ब्रेक लेकर, या दिनचर्या को तोड़ने के लिए कुछ नई गतिविधि शुरू करने की कोशिश करके शुरू कर सकते हैं। अधिक जागरूक होने और अपनी दैनिक गतिविधियों में डूबे रहने से भी आपके लिए चीजों को धीमा करने और शांत महसूस करने में मदद मिल सकती है।
सामूहीकरण करना - मनुष्य सामाजिक प्राणी है। अकेले रहना तनाव और चिंता प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकता है। स्वस्थ संचार और लोगों के साथ बातचीत करने से आपको आराम महसूस करने में मदद मिलेगी। शोध कहता है कि दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत बढ़ने से तनाव और चिंता के लक्षण कम होते हैं। एक घनिष्ठ नेटवर्क का हिस्सा होने से अपनेपन और आत्म-मूल्य की भावना पैदा हो सकती है। आमने-सामने संचार ऑक्सीटोसिन को छोड़ने में भी मदद करता है, जो एक प्राकृतिक तनाव-निवारक है। डिजिटल संचार जैसे ईमेल, टेक्स्ट या सोशल मीडिया की तुलना में यहां फिजिकल बॉन्डिंग का अधिक प्रभाव पड़ता है।
व्यायाम
व्यायाम
सर्वोत्तम प्राकृतिक तनाव प्रबंधन तकनीकों
में से एक के
रूप में कार्य करता
है जिसका उपयोग अधिकांश चिकित्सक और चिकित्सक करते
हैं। जब आप एक
संतुलित शारीरिक दबाव डालते हैं,
तो यह कभी-कभी
मानसिक तनाव को दूर
करने में मदद कर
सकता है। व्यायाम निम्नलिखित
तरीकों से चिंता को
दूर करने में मदद
कर सकता है:
कोर्टिसोल
जैसे तनाव हार्मोन को
कम करके और एंडोर्फिन
जारी करके
- नींद की गुणवत्ता में सुधार करके
- मानसिक-अस्तित्व को बढ़ावा देकर,
आत्मविश्वास पैदा करना और
सकारात्मकता का संचार करना
निर्देशित ध्यान - इसे विज़ुअलाइज़ेशन के रूप में भी जाना जाता है, इसमें स्थानों या स्थितियों की मानसिक छवियां शामिल होती हैं जो आपको आराम करने में मदद कर सकती हैं। इसमें अधिक से अधिक इंद्रियों का उपयोग करना शामिल है। मंत्र ध्यान - इसमें किसी भी विचलित करने वाले विचारों से बचने के लिए चुपचाप एक शांत शब्द का जप करना शामिल है
ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन - यह तनाव मुक्त करने के लिए एक सहज ध्यान तकनीक है जिसमें एक विशेष मंत्र को एक विशेष तरीके से दोहराना शामिल है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन - इसमें माइंडफुलनेस या चेतना के एक निश्चित स्तर तक पहुँचना और अपनी उपस्थिति के बारे में जागरूक होना शामिल है।
अभ्यंग - इसमें तनाव से राहत के लिए मालिश तेलों का उपयोग शामिल है जो तंत्रिका तंत्र को शांत करने, ऊतकों को फिर से जीवंत करने और गहरी चेतना प्राप्त करने में मदद करते हैं।
शिरोधारा - इस प्रक्रिया में क्षैतिज स्थिति में पड़े व्यक्ति के माथे पर लगातार तरल पदार्थ टपकने देना शामिल है। दो भिन्नताएँ मौजूद हैं:
१) थिला धारा (तेल का प्रयोग
करके)
२) ठकरा धारा (औषधीय छाछ का
उपयोग करके)
- तनाव
और चिंता से राहत के
लिए योग
- पोज़ - पोज़ के रूप में भी जाना जाता है, ये ऐसे मूवमेंट होते हैं जिनमें आपकी ताकत और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्ट्रेचिंग और रिलैक्सिंग मूवमेंट शामिल होते हैं
- श्वास - नियंत्रित श्वास मन को शांत करने और आपके शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद करता है
- विश्राम - अधिक जागरूक और जागरूक बनने में मदद करता है
- अधिकांश चिकित्सक और चिकित्सक तनाव प्रबंधन और विश्राम के लिए योग की सलाह देते हैं, और इसे चिंता के प्राकृतिक उपचारों में से एक माना जाता है। वास्तव में, तनाव-मुक्ति के लिए योग को चुनने के कई लाभ हैं:
- फिटनेस - योग न केवल तनाव को दूर करने में मदद करता है बल्कि बेहतर फिटनेस, लचीलापन और ताकत भी प्रदान करता है।
- पुरानी बीमारियां - योग हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अवसाद और अनिद्रा जैसी पुरानी बीमारियों की संभावना को कम करने में भी मदद करता है
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